Dr Mayank Mehrotra, is eminent and dynamic Gastroenterologist working in Regency Healthcare, a tertiary care hospital in Kanpur. He completed DM Gastroenterology from the prestigious, Sanjay Gandhi Post Graduate Institute, Lucknow. He is specialized in diseases related to Liver, Biliary system, Pancreas, GI cancers and Inflammatory bowel disease. He is well versed in diagnostic and interventional endoscopies including endoscopic ultrasound. He started oesophageal and anorectal manometry for the first time in any private hospital in Uttar Pradesh. His knowledge in luminal GI disorders is commendable.
Fatty liver अर्थात् लिवर में अधिक वसा (fat) का जमा होना। पश्चिमी देशों में लगभग एक तिहाई जनसंख्या को फ़ैटी लिवर है। Asia में लगभग १० से १५% जनसंख्या में यह बीमारी पायी जाती है। यह परायः दो प्रकार की होती है।
१. Alcoholic fatty liver जिसमें शराब का अत्यधिक सेवन करने से लिवर में वसा की मात्रा अधिक हो जाती है।
२. Non alcoholic fatty liver disease जिसमें शराब के अलावा अन्य कारणों से लिवर में वसा की अधिकता हो जाती है। इसके मुख्य कारणों में मधुमेह (Diabetes mellitus), मोटापा, कलेस्टरॉल (cholesterol) की अधिकता, हेपटाइटिस C अथवा दवाओं का प्रतिकूल असर हैं।
फ़ैटी लिवर में प्रायः कोई भी लक्षण नहीं होता है।अधिकांशतः लोगों में पेट के दायें ऊपरी हिस्से में हल्का दर्द, थकावट हो सकती है। दीर्घकालीन रोग में लिवर में सिकुड़न (cirrhosis), पीलिया (jaundice), पेट में पानी आना (ascites), खून की उल्टी होना तथा लिवर फेल होने जैसी समस्या हो सकती हैं।
रक्त का परीक्षण (Blood tests), पेट का अल्ट्रसाउंड (Ultrasound abdomen) और लिवर बाइआप्सी (liver biopsy) से इस बीमारी को पकड़ सकते हैं। MRI से लिवर में वसा की मात्रा को भी नापा जा सकता है। Fibroscan से लिवर में जमा fat यानी वसा की मात्रा को नापना और fat के कारण लिवर में हुए नुक़सान को देखा जा सकता है।
- इसकी चिकित्सा में मुख्यतः रहन सहन में बदलाव करना होता है।
- भोजन में घी, तेल, मीठे की मात्रा को कम करना।
- नियमित वर्जिश (exercise) करना।
- रोज़ के भोजन में ३०% की कटौती करना।
- Weight यानी वजन को कम करना।
- शराब में कटौती करना।
- रक्त में कलेस्टरॉल की मात्रा को नियंत्रित करना।
- अध्ययन में Vitamin E, UDCA, Saroglitazar, Obeticholic acid दवाओं का भी प्रयोग असरकारक माना गया है।
- अत्यधिक मोटापे में endoscopy के माध्यम से पेट के आकार को कम किया जाता है, जिससे भूख कम लगती है और मोटापा भी कम होता है।
लीवर सिरोसिस से तात्पर्य लिवर का सिकुड़ना होता है, ऐसा मुख्य रूप हेपपिटाइटिस बी और सी की कमी, शराब का सेवन करने ,खराब भोजन करने इत्यादि कारणोंं से होता है। यदि सिरोसिस का इलाज सही समय न किया जाए, तो लिवर के खराब होने का कारण बन सकता है, जिसमें लिवर काम करना बंद कर देता है और कई बार इस वजह से लोगों की मौत भी हो जाती है।
किसी भी अन्य बीमारी की तरह लीवर सिरोसिस के भी अपने कुछ लक्षण होते हैं, जो इसकी शुरूआत के संकेत देते हैं। अत: यदि किसी व्यक्ति को ये 5 लक्षण नज़र आते हैं तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए क्योंकि ये सिरोसिस होने की दस्तक हो सकते हैं:
1. त्वचा का पीला पड़ना- यह सिरोसिस का प्रमुख लक्षण है, जिसमें व्यक्ति की त्वचा पीली पड़ जाती है। इसे आम भाषा में पीलिया भी कहा जाता है। अत: इसे किसी भी व्यक्ति को नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए और इसका इलाज तुरंत कराना चाहिए।
2. कमजोरी महसूस होना- यदि किसी व्यक्ति को काफी कमजोरी महसूस होती है और किसी भी काम को ज्यादा देर तक नहीं कर पाता है, तो उसे इसकी जांच करानी चाहिए क्योंकि लीवर सिरोसिस का कारण हो सकता है।
3. भूख न लगना- यह लीवर सिरोसिस का अन्य लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को भूख लगना अचानक बंद हो जाता है। आमतौर पर, लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं, लेकिन कई बार यह किसी गंभीर बीमारी की दस्तक भी हो सकती है।
4. वजन का अचानक से बढ़ना या घटना- यदि किसी व्यक्ति का वजन अचानक से बढ़ता या घटता है, तो उसे इसे नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए और इसकी सूचना डॉक्टर को देनी चाहिए।
5.सांस लेने में तकलीफ होना- जब किसी व्यक्ति का लिवर सही तरीके से काम नहीं करता है, तो उसका शरीर के अन्य अंगों पर भी पड़ता है। इसी वजह से उसे सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है और फिर उसे मेडिकल सहायता की जरूत पड़ती है।
किसी भी व्यक्ति को सिरोसिस की बीमारी कई कारणों से हो सकती है, इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
1. अत्याधिक मात्रा में शराब का सेवन करना- लीवर सिरोसिस की बीमारी की संभावना उस व्यक्ति में अधिक होती है, जो अधिक मात्रा में शराब का सेवन करता है।
2. लिवर की बीमारी का होना- यदि किसी व्यक्ति को लीवर की बीमारी है, तो उसे भी लीवर सिरोसिस की बीमारी हो सकती है। अत: ऐसे व्यक्ति को उसका इलाज सही तरीके से कराना चाहिए।
3. सिस्टिक फाइब्रोसिस का होना- लीवर सिरोसिस की बीमारी उस व्यक्ति को भी हो सकती है, जो सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित होता है। अत: ऐसे व्यक्ति अपना इलाज सही तरीके से कराना चाहिए ताकि उसे सिरोसिस की बीमारी न हो।
4. हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त होना- अक्सर ऐसा देखा गया है कि सिरोसिस की बीमारी उस व्यक्ति को भी हो जाती है, जो हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त होता है। अत:सभी लोगों को हेपेटाइटिस के टीकों को लगाना चाहिए ताकि उन्हें किसी तरह की बीमारी न हो।
5. बाहर का भोजन करना- ऐसा माना जाता है कि बाहर का भोजन किसी भी व्यक्ति के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है क्योंकि इससे उसे कई सारी बीमारियां हो सकती हैं। यह बात लीवर सिरोसिस पर भी लागू होती है क्योंकि यह बाहर के भोजन करने से होती है।
यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में आता है, जो लिवर सिरोसिस की बीमारी से पीड़ित होता है। चूंकि, उसे इस दौरान काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसलिए वह हमेशा ऐसे तरीकों की तलाश में रहता है, जिसके द्वारा इस बीमारी का इलाज करा सकें।
1. लीवर का अल्ट्रासाउंड करना- लीवर सिरोसिस का इलाज लिवर के अल्ट्रासाउंड के द्वारा भी किया जाता है। अल्ट्रासाउंड के द्वारा लिवर की अंदरूनी स्थिति का पता लगाया जाता है और उसके आधार पर व्यक्ति का इलाज किया जाता है।
2. दवाई लेना- यह सिरोसिस का इलाज करने का सबसे आसान तरीका है, जिसके माध्यम से बीमारी को बढ़ने से रोका जाता है।
3. हेल्दी डाइट का अपनाना- जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि लिवर सिरोसिस की बीमारी बाहर के भोजन की वजह भी होती है। इसी कारण लोगों को हेल्दी डाइट को अपनाना चाहिए ताकि उसका लिवर सही तरीके से काम कर सके।
4. लीवर की बायोप्सी कराना- कई बार सिरोसिस का इलाज बायोप्सी के द्वारा भी किया जाता है। बायोप्सी शरीर में इस बीमारी को बढ़ने से रोकती है और इसके साथ में उसे शरीर के अन्य अंगों में भी फैलने से रोकती है।
5. लिवर ट्रांसप्लांट- जब लीवर सिरोसिस से पीड़ित किसी व्यक्ति को किसी भी तरीके से आराम नहीं मिलता है, तो डॉक्टर उसे लिवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह देते हैं।
जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि लीवर सिरोसिस के इलाज का सर्वोत्तम तरीका लिवर ट्रांसप्लांट है। ऐसे में जब कोई डॉक्टर किसी व्यक्ति को लिवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह देते हैं, तो उसके मन में सबसे पहला सवाल उसकी लागत को लेकर आता है। वह इस बात को सुनिश्चित करना चाहता है कि यह सर्जरी उसके लिए किफायती साबित हो। हो सकता है कि कुछ लोगोंं को लिवर ट्रांसप्लांट को एक महंगी प्रक्रिया लगे और इसी कारण वे इसे न करा पाते हो, लेकिन यदि उन्हें यह पता हो कि यह एक किफायती प्रक्रिया है, जिसकी लागत मात्र 1.5 लाख से 2.5 लाख ही होता है तो शायद वे भी इसका लाभ हो पातें।
ऐसा माना जाता है कि किसी भी बीमारी को नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि वह कुछ समय के बाद गंभीर रूप ले सकती है। यह बात लीवर सिरोसिस पर भी लागू होती है और यदि कोई व्यक्ति इसका इलाज सही समय पर नहीं करता है तो उसे कुछ जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है,जो इस प्रकार हैं-
1. किडनी का खराब होना- जब सिरोसिस का इलाज काफी समय तक नहीं हो पाता है, तो फिर उसका असर शरीर के अन्य अंगों पर होने लगता है और उनकी कार्यक्षमता कम होने लगती है। ऐसा किडनी के साथ भी होता है और कुछ समय के बाद किडनी खराब हो जाती है।
2. लिवर कैंसर का होना- कई बार लिवर सिरोसिस के लाइलाज रहने पर लिवर कैंसर भी हो सकता है। हालांकि, इसका इलाज कैंसर सर्जरी के द्वारा किया जा सकता है।
3. डायबिटीज का होना- अक्सर, सिरोसिस से पीड़ित व्यक्ति को डायबिटीज की बीमारी भी हो जाती है। हालांकि, डायबिटीज का इलाज संभव है।
4. दवाईयों का लिवर पर दुष्प्रभाव पड़ना- जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि लीवर सिरोसिस का इलाज दवाईयों के द्वारा भी किया संभव है। इसी स्थिति में कुछ लोगों पर इन दवाईयों का दुष्प्रभाव भी पड़ जाता है और फिर उन्हें एंटी बायोटिक दवाई लेनी पड़ती है।
5. पैरों और पेट में सूजन का होना- कई बार, सिरोसिस से पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर सूजन भी हो जाती है। ऐसा मुख्य रूप से पैरों और पेट पर होता है और उस स्थिति में उसे घरेलू नुस्खों को अपनने की जरूरत पड़ती है।
हालांकि, लीवर सिरोसिसों के मरीजों की संख्या काफी तेज़ी से बढ़ रही है और अधिकांश लोगों को इसकी वजह से काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन, इसके बावजूद किसी भी अन्य बीमारी की तरह लिवर सिरोसिस की भी रोकथाम संभव है।
यदि कोई व्यक्ति इन 5 कार्यों को करें, तो वह लीवर सिरोसिस की संभावना को काफी हद तक कम कर सकता है-
1. शराब का सेवन न करना- जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि लीवर सिरोसिस की बीमारी शराब का सेवन करने की वजह से होती है। इसी कारण सभी लोगों को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए ताकि वे सेहतमंद रह सकें।
2. हेल्दी डाइट को अपनाना- सभी लोगों को अपने खान पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए और किसी भी ऐसी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए जो उनके स्वास्थ के लिए नुकसानदायक हो। यह बात केवल लीवर सिरोसिस पर ही नहीं अपितु सभी बीमारियों पर लागू होती है क्योंकि हमारे खानपान का असर हमारे शरीर पर सीधा पड़ता है।
3. वजन को नियंत्रित रखना- ऐसी बहुत सारी बीमारियां हैं, जो वजन के संतुलित न होने की वजह से होती हैं। इनमें लीवर सिरोसिस भी शामिल हैं, इसलिए सभी लोगों को वजन को संतुलित रखने की कोशिश करनी चाहिए।
4. हेपेटाइटिस की रोकथाम करना- जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि लीवर सिरोसिस हेपेटाइटिस की वजह से भी होती है। ऐसे में सभी लोगों को यह कोशिश करनी चाहिए कि वे हेपेटाइटिस से अपनी रक्षा करें ताकि उन्हें कोई स्वास्थ संबंधी परेशानी न हो।
5. डॉक्टर के संपर्क में रहना- यह सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है, जिसका ख्याल सभी लोगों को रखना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति का लीवर सिरोसिस का इलाज चल रहा है, तो उसे तब तक डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए, जब तक वह उन्हें पूरी तरह से सेहतमंद घोषित न कर दें।
जैसा कि हम सभी यह जानते हैं कि वर्तमान समय में लीवर संबंधित कई सारी बीमारियां फैल रही हैं। इनमें लीवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis) भी शामिल है, जिसकी मरीजों की तादात काफी ज़्यादा है। चूंकि, अधिकांश लोगों को लीवर सिरोसिस की पूर्ण जानकारी नहीं होती है, तो इसी कारण वे इससे निजात नहीं पा पाते हैं।